NEET पर कोर्ट का फैसला:NEET में असफल हुए कैंडिडेट्स भी ले सकेंगे BDS में एडमिशन, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम (NEET) में असफल हुए कैंडिडेट्स भी अब BDS यानी दांतों के डॉक्टर बनने के लिए एडमिशन ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक मेडिकल BDS कोर्स में अब नीट में फेल हो चुके कैंडिडेट्स भी एडमिशन ले सकते हैं। दरअसल, बहुत से मेडिकल कॉलेज में BDS की सीटें खाली होने के चलते कोर्ट ने यह फैसला किया है।
सरकारी और निजी कॉलेजों में खाली BDS की 7000 सीटें
एकेडमिक ईयर 2020-21 में सरकारी और निजी कॉलेजों में BDS फर्स्ट ईयर करीब की 7000 सीटें खाली हैं। इसमें से सरकारी कॉलेजों में सिर्फ 265 सीटें खाली हैं, जबकि अन्य सभी खाली सीटें निजी डेंटल कॉलेजों में हैं। ऐसे में कोर्ट ने निर्देश दिया कि साल 2020-2021 में बीडीएस पाठ्यक्रम में फर्स्ट ईयर की खाली सीटों के लिए परसेंटाइल मार्क को 10 परसेंटाइल कम करने के बाद, उन कैंडिडेट्स से भरा जाएगा, जो पिछले साल NEET (UG) में शामिल हुए थे।
देश में खाली BDS की 7000 सीटें
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में यह फैसला लिया था कि जो कैंडिडेट NEET में 50 फीसदी से ऊपर नंबर लाएंगे, उनको ही MBBS और BDS में एडमिशन मिल सकेगा। 50 परसेंटाइल से कम आने पर कैंडिडेट्स को किसी भी कोटे के तहत मेडिकल में एडमिशन नहीं मिलेगा। लेकिन वर्तमान में BDS की खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नया फैसला दिया है, जिसके तहत फेल छात्र भी BDS में एडमिशन ले सकेंगे।
13 सितंबर को हुआ NEET 2020
बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) के फर्स्ट ईयर में एडमिशन के लिए NEET 2020 को 13 सितंबर 2020 को आयोजित किया गया था। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने एकेडमिक ईयर 2020-2021 के लिए BDS पाठ्यक्रम में एडमिशन के लिए क्वालिफाइंग कटऑफ परसेंटाइल को कम करने की सिफारिश की थी। जिन उम्मीदवारों ने डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित न्यूनतम अंक हासिल नहीं करने वाले कैंडिडेट्स ने सुप्रीम कोर्ट से संपर्क किया था, जिस पर कोर्ट ने यह फैसला किया।
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