भूख के आगे गायब हो रही है राष्ट्रीय प्रतिभा, बोकारो में हो रही है तीरंदाजों की उपेक्षा
बोकारो : टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद में आज पूरा देश महिला तीरंदाज दीपिका को बधाई दे रहा है, इस ओलंपिक के दौरान झारखंड की और भी कई बेटियां तीरंदाजी में हिस्सा लेंगी.
वहीं बोकारो के महेशपुर गांव की एक बेटी ने राज्य से लेकर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता तक अपनी प्रतिभा से कई बार लोगों को चौंका दिया है. वर्ष 2017 में राज्य स्तरीय सब-जूनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता में दो बार रजत पदक जीतने वाली गुड़िया के पास सैकड़ों पदक और सम्मान प्रमाण पत्र हैं, लेकिन आज वह पेट की आग बुझाने के लिए दूसरे के घरों में काम करने को मजबूर है।
गुड़िया ने हार नहीं मानी बोकारो की इकलौती तीरंदाजी अकादमी गुड़िया के बंद होने के बाद भी गुड़िया अपने घर के प्रांगण में भूसे और टूटे सामान से लक्ष्य केंद्र बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को निखारने का अभ्यास करती रही. लेकिन अब इस देश में, जिसने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा बुलंद किया है, गुड़िया को अपने परिवार की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण लोगों के घरों में काम करना पड़ रहा है।
महज दो साल की मेहनत से अपनी प्रतिभा से राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल करने वाली गुड़िया भले ही आज के हालात के कोप का सामना कर रही हों, लेकिन उनका हौंसला अब भी बरकरार है. गुड़िया सरकार से गुहार लगा रही है कि अगर उसे छोटी सी नौकरी मिल जाए तो वह अपनी कमाई से अपने टैलेंट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जा सकती है.
धनुधर गुड़िया भले ही अब तक तीरंदाजी में अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रही हों, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण उनका जीवन लक्ष्यहीन होता जा रहा है। गुड़िया अखिल विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिता 2017 में प्रथम, 37वीं सब-जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप 2016 में द्वितीय, विनोवभावे विश्वविद्यालय 2019 में कांस्य पदक।
गुड़िया अपनी कोच एंजेला सिंह को अपना भगवान मानती हैं। नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी एंजेला सिंह को जहां अपने तीरंदाज पर गर्व है, वहीं वह अपने मौजूदा हालात से भी काफी परेशान हैं. एंजेला सिंह का तीरंदाजी में भी एक अलग रिकॉर्ड है जो अभी तक नहीं टूटा है। 1994 में पटियाला में हुए नेशनल गेम्स में कुल 18 मेडल जीतने वाली एंजेला सिंह को अपनी छात्रा पर पूरा भरोसा है कि अगर उसे सही मदद मिली तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगी.
हालांकि एंजेला का रिकॉर्ड अभी तक नहीं टूटा है, लेकिन गांव के इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी का सपना टूटता नजर आ रहा है. जिले में कई सार्वजनिक उपक्रमों की मौजूदगी के बावजूद कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से किसी ने गुड़िया की मदद नहीं की.


 
 
 
 
 
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