चंद्रशेखर को शहरी जिलाध्यक्ष की जिम्मेवारी, ज्ञानरंजन सिन्हा बने पहले ग्रामीण जिलाध्यक्ष
जिला भाजपा संगठन काे दाे भाग में बांटने के निर्णय पर अंतत: मुहर लग गई। रविवार काे प्रदेश संगठन ने शहरी व ग्रामीण जिलाध्यक्ष की घाेषणा कर दो जिलाध्यक्षों के कयास पर विराम लगा दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने रविवार काे ग्रामीण और शहरी जिलाध्यक्ष की घाेषणा कर दी।
प्रदेश अध्यक्ष ने जहां निवर्तमान जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह काे दूसरी बार जिला संगठन की कमान साैंपी है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के साथ भाजपा में शामिल हुए झाविमो के पूर्व जिलाध्यक्ष ज्ञानरंजन सिन्हा काे धनबाद का पहला ग्रामीण जिलाध्यक्ष बनाया है। चंद्रशेखर को प्रतिद्वंद्वियों से तगड़ी चुनौती मिल रही थी, वहीं ज्ञानरंजन के नाम पर ज्यादा विवाद नहीं था।
आठ दावेदारों को पछाड़ पद बचाने में कामयाब रहे चंद्रशेखर
निवर्तमान जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह काे दूसरी बार कमान मिलनी आसान नहीं थी। दाे विधायकाें की नाराजगी भी वे झेल रहे थे। वहीं आठ दावेदाराें से उनका मुकाबला था। दावेदाराें में सांसद प्रतिनिधि नितिन भट्ट, मुकेश पांडेय, रूपेश सिन्हा, अशाेक कुमार सिंह, राजकुमार सिंह एवं अरुण राय शामिल थे। प्रदेश नेतृत्व भी इस बार धनबाद में बदलाव का मन बना चुका था, लेकिन सांसद पीएन सिंह के आशीर्वाद से चंद्रशेखर काे फिर से कुर्सी मिल गई। चंद्रशेखर ने कहा कि प्रदेश नेतृत्व ने उन पर जाे भराेसा जताया है, उसे टूटने नहीं देंगे।
विरोध कम था, बाबूलाल मरांडी के साथ रहने का मिला इनाम
ज्ञानरंजन सिन्हा काे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के साथ रहने का इनाम मिला। ज्ञानरंजन 2010 से लेकर 2019 तक उनकी पार्टी झाविमो के जिलाध्यक्ष रहे। मरांडी के आशीर्वाद से उनकी राह आसान हुई। प्रदेश संगठन की ओर से भी ऐसे चेहरे की तलाश की जा रही थी, जिसके नाम पर काेई विवाद नहीं हाे। जिले के सभी विधायकाें ने भी ज्ञानरंजन के पक्ष में अपनी स्वीकृति दी थी। परिणामस्वरूप ज्ञानरंजन पहले ग्रामीण जिलाध्यक्ष बनने में सफल रहे। ज्ञानरंजन ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने जाे जिम्मेवारी दी है, उस पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे।
दोनों जिलाध्यक्ष को मिला 3-3 विस क्षेत्रों का जिम्मा
जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ शहरी और ग्रामीण संगठन के क्षेत्रों का भी निर्धारण कर लिया गया है। शहरी जिलाध्यक्ष के जिम्मे धनबाद, झरिया और बाघमारा विधानसभा क्षेत्र हाेंगे, वहीं ग्रामीण में सिंदरी, निरसा और टुंडी विधानसभा क्षेत्रों काे रखा गया है। परिसीमन का निर्धारण पिछले साल ही कर लिया गया था। संगठन काे दाे भाग में बांटने की मांग सबसे पहले 2017 काे उठी थी। तब से यह मांग कायम थी।
from Dainik Bhaskar

Leave Comments
एक टिप्पणी भेजें