ड्रैगन की घटिया चाल का खुलासा:चीन ने नेपाल पर वैक्सीन लेने के लिए दबाव डाला, चीनी एम्बेसी के डॉक्यूमेंट्स लीक: काठमांडू - AKB NEWS

ड्रैगन की घटिया चाल का खुलासा:चीन ने नेपाल पर वैक्सीन लेने के लिए दबाव डाला, चीनी एम्बेसी के डॉक्यूमेंट्स लीक: काठमांडू


 महामारी के दौर में भी चीन छोटे और गरीब देशों को धमका रहा है। इसका एक और उदाहरण रविवार को सामने आया। दरअसल, नेपाल के मीडिया ने कुछ डॉक्यूमेंट्स के हवाले से बताया है कि चीन ने नेपाल सरकार पर सायनोवैक वैक्सीन को खरीदने के लिए दबाव बनाया था। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यह दबाव तब से बनाया जा रहा था जब चीन की वैक्सीन्स का एफिशिएन्सी डेटा भी मौजूद नहीं था और न ही इनकी पुष्टि हुई थी।

चीन के विदेश मंत्री ने किया था फोन
न्यूज एजेंसी ने नेपाली मीडिया के हवाले से इस पूरे मामले का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सायनोफार्म कंपनी सायनोवैक कोविड-19 वैक्सीन बना रही है। इसकी एफिशिएन्सी पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप जवाली को फोन किया। उन्होंने प्रदीप पर दबाव बनाया कि वे चीन की वैक्सीन को मंजूरी दें। खास बात ये है कि वांग यी ने पहले मंजूरी मांगी और साथ ही ये भी कहा कि वैक्सीन की डीटेल्स बाद में दी जाएंगी।

नहीं तो वैक्सीन के लिए इंतजार करना होगा
काठमांडू में चीन की एम्बेसी पर नेपाल की राजनीति में दखलंदाजी के आरोप लगते रहे हैं। अब वैक्सीन के मामले में तो इसी एम्बेसी के दस्तावेज लीक हो गए हैं। एक डॉक्यूमेंट में तो नेपाल सरकार को धमकी दी गई है कि अगर उसने वैक्सीन को मंजूरी देने में देरी की तो फिर नेपाल को इसके लिए लंबा इंतजार करना होगा।

नेपाल ने कहा- दस्तावेज सही
रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सरकार ने लीक हुए दस्तावेजों की पुष्टि करते हुए इन्हें सही बताया है। दूसरी तरफ, चीन की एम्बेसी ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। नेपाल ही नहीं, पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में चीन की वैक्सीन्स पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

यह मामला इसलिए भी उलझ रहा है क्योंकि नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते गुरुवार को चीन सरकार को एक लेटर के जरिए बताया था कि कोई भी चीनी वैक्सीन कंपनी जरूरी डॉक्यूमेंट्स और डेटा नहीं दे रही है। 31 जनवरी को चीनी दूतावास ने कहा था कि वो नेपाल को सायनोवैक वैक्सीन के 3 लाख डोज मुहैया कराएगी। भारत और ब्रिटेन नेपाल को 2-2 लाख वैक्सीन पहले ही भेज चुके हैं। ब्राजील में सायनोवैक वैक्सीन की एफिशिएन्सी सिर्फ 50.4% आंकी गई थी। इसके बाद वहां इसके ट्रायल ही बंद कर दिए गए थे।


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