कोरोना योद्धा मां को सलाम:मदर्स डे के दिन ही बच्ची का बर्थडे, मां चाह रही कोरोना रिकवरी गिफ्ट : रांची
मां कभी नहीं हारती। कोरोनाकाल में माताएं योद्वा बनकर खड़ी हैं। मदर्स डे पर इन योद्वाओं की कहानी पढ़िए, जिनके दम पर आप भी कहेंगे कि इन्हीं मातृशक्ति से कोरोना हारेगा। कोरोना को हराने के लिए त्याग ऐसा कि जन्म देने के बाद अबतक नवजात को चूमा तक नहीं है। सिर्फ एकटक निहारती हैं और फिर स्तनपान कराकर अपने से दूर कर लेती हैं। ताकि पॉजिटिव न हो जाए। एक मां ऐसी कि अन्य माताओं के लिए कोविड वार्ड में रहने का रास्ता खोल दिया। कोरोकाल में मदर्स डे पर मांओं की हौसले, जज्बे व चाहत भरी स्टोरी पढ़िए...
धुर्वा की रहने वाली अंशु अपनी दो साल की बेटी शानवी के जल्द ठीक होने की जद्दोजहद कर रही हैं। शानवी रिम्स के ट्राॅमा सेंटर कोविड वार्ड में भर्ती है। उसे कोविड निमोनिया है। स्थिति गंभीर है। मां की आंखों में आंसू हैं, लेकिन भरोसा भी है कि अपनी बच्ची को कोरोना की जंग से जीत दिलाकर ही रहेंगी। कोविड वार्ड में उसके साथ ही रहती हैं। नर्सों का काम खुद ही कर रही हैं।
दिन भर बच्ची को दवाई देने से लेकर ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ डॉक्टर जैसा बताते हैं, वैसा करती जाती हैं। अंशु ने बताया कि 9 मई को मदर्स डे पर ही शानवी का बर्थडे भी है। वह कहती हैं कि इस दिन मुझे सिर्फ बेटी की कोरोना से रिकवरी का गिफ्ट चाहिए। भगवान भी मेरी सुन रहे हैं, क्योंकि शनिवार को उसे ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी।
कोविड वार्ड का सुरक्षा कवच तोड़ा, अब बच्चे के साथ रह सकती हैं मांएं
रानी हॉस्पिटल के कोविड-वार्ड में मौसमी अपने ढाई माह के कोरोना पॉजिटिव बच्चे को सीने से लगाए बैठी हैं। मौसमी निगेटिव हैं। बच्चा आइसोलेशन वार्ड में है। मौसमी वार्ड के बाहर रहती थीं। रात भर बेटे की चीख सुन बिलखती थीं। अंततः कोरोना पर मां की ममता भारी पड़ गई। एक दिन वार्ड के सुरक्षा कवक्ष को तोड़ती हुई बच्चेे के पास पहुंच गईं और उसे गोद में लेकर स्तनपान कराने लगीं। बच्चा भी मां की गोद मिलते ही मुस्कुराते हुए स्तनपान करने लगा।
आज मौसमी खुद आइसोलेशन वार्ड में बच्चे की सेवा कर रही हैं। अस्पताल प्रबंधन भी मान रहा है कि बच्चे में तेजी से सुधार आ रहा है। इसके बाद से प्रबंधन ने मांओं का स्वास्थ्य देखकर बच्चों के साथ वार्ड में रहने की अनुमति देनी शुरू कर दी है।
11 मार्च को मां बनीं, फिर संक्रमित, बेटे से दूर रह आज से इमरजेंसी ड्यूटी
डॉ कुमुदिनी रिम्स में सीनियर रेजिडेंट हैं। कोरोनाकाल में लगातार कोविड मरीजों के बीच अपनी सेवा दे रही हैं। इनके लिए भी मदर्स डे खास है, क्यूंकि 11 मार्च को इन्होंने बेटे को जन्म दिया है। मां बनने के बाद भी लेबर रूम में इमरजेंसी ड्यूटी में लगी हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद खुद भी संक्रमित हो गई थीं, तब से बच्चे को जमशेदपुर स्थित ससुराल भेज दिया। प्रसव के एक महीने के बाद स्वस्थ होकर लौटीं तो अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता दीं।
पिछले एक महीने से लेबर रूम में ड्यूटी करने के बाद रविवार से कोविड वार्ड में ड्यूटी लगाई गई है। एक सप्ताह यहां गंभीर मरीजों के इलाज में लगी रहेंगी। कहती हैं कि मां बनने के बाद सेवा संकल्प और बढ़ गया है।
बच्चों को चूमा तक नहीं, दिनभर में 10 बार स्नान ताकि सुरक्षित दूध पी सकें
धनबाद (जितेन्द्र कुमार)| यह एसएसएलएनटी कोविड वार्ड है। यहां हर बेड पर मां व कोरोना के बीच जंग चल रही है। भर्ती माताएं कोरोना से संक्रमित हैं, पर उन्होंने अपने बच्चे को संक्रमित नहीं होने दिया। इस कोविड अस्पताल में अब तक 60 संक्रमित महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। सुखद बात यह है कि जन्म लेने वाला एक भी बच्चा अब तक पॉजिटिव नहीं हुआ। खुद संक्रमित हैं, लेकिन बच्चा संक्रमित न हो, इसके लिए माताएं त्याग की प्रतिमूर्ति बनी हुई हैं। अभी यहां चार प्रसूताएं इलाजरत हैं। वे कहती हैं कि कोरोना का वायरस उनके शरीर में है।
यह वायरस बच्चे तक नहीं पहुंचे, इसके लिए वे सभी नियमों का पालन कर रही हैं। हर बार दूध पिलाने से पहले वे स्नान करती हैं। कपड़ा बदलती हैं। एक दिन में उन्हें 10-15 बार स्नान करना पड़ रहा है। 20 बार से अधिक वे हाथों को सेनेटाइज कर रही हैं। बच्चे के साथ रहने की इच्छा होती है, पर वे दूध पिला कर उसे अपने से दूर कर देती हैं। उन्हें अबतक चूमा भी नहीं है। विश्वास है कि वे सतर्क रहेंगी तो वायरस बच्चे तक नहीं पहुंच सकता।



 
 
 
 
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