राज्य के पांच लाख रजिस्टर्ड मजदूरों को नहीं मिल रहा मनरेगा योजनाओं में काम
बिनोद ओझा,लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बाद उन्हें मनरेगा के तहत काम नहीं मिल रहा है। झारखंड के सभी 24 जिलों में कार्यरत मनरेगा कार्यालयों में पांच लाख ऐसे मजदूर हैं, जो रजिस्टर्ड तो हैं, लेकिन उन्हें जॉब कार्ड नहीं मिलने के कारण मनरेगा योजनाओं में काम नहीं मिल रहा है।
12 जुलाई 2020 तक के आंकड़े बताते हैं कि दुमका, साहेबगंज, गोड्डा, गिरिडीह जिले तो ऐसे हैं, जहां 30 हजार से ज्यादा ऐसे मजदूर हैं, जो जिनके पास जॉब कार्ड नहीं है। उल्लेखनीय है कि राज्य में लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीन महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। इनमें नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और वीर शहीद पोटो खेल विकास योजना शामिल हैं।
फिर काम के लिए दूसरे राज्यों का रुख
तस्वीर गढ़वा के बंशीधरनगर की है। यहां रोजगार नहीं मिलने के कारण लोग ट्रकों पर सवार होकर बिहार, यूपी जा रहे हैं। क्योंकि यहां उनको मनरेगा या अन्य योजनाओं में काम नहीं मिला।
मनरेगा आयुक्त ने कहा... अपडेट किए जा रहे आंकड़े

मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि आंकड़ों की एंट्री अब तक अपडेट नहीं की गई है। यह मामला संज्ञान में है, जिस पर तेजी से काम किया जा रहा है। मजदूरों की बड़ी संख्या होने की वजह से लगभग 10 दिन का समय लग सकता है। मनरेगा में जॉब मांगने वालों को लगातार काम दिया जा रहा है। खेती का मौसम होने से काफी संख्या में लोग उधर भी मजदूरी करने जा रहे हैं।
from Dainik Bhaskar

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