पश्चिमी सिंहभूम जिले में अब तक औसत से 12 फीसदी कम बारिश, किसान चिंतित

बारिश के इंतजार ने एक बार फिर किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। आषाढ़ बीत गया और धान के खेत पानी को तरस रहे हैं। इस साल मानसून में अब तक जिले में औसत 304.7 मिमी के बजाय 269.3 मिमी बारिश हुई है। यह औसत (सामान्य) बारिश से 12 फीसदी कम है।
सिर्फ जुलाई महीने की बात करें तो पूरे जिले में औसतन 57.4 एमएम बारिश हुई है। यह जुलाई में होने वाली औसत बारिश का 21 फीसदी है। कम बारिश के कारण छींटा विधि से उगाए गए धान की फसल कड़हन के लिए तैयार है। लेकिन खेताें में पर्याप्त पानी नहीं हाेने के कारण काम अटक गया है। फसल पीले पड़ने लगी है। पिछले पंद्रह दिन से हो रही रिमझिम बारिश किसानों के लिए किसी काम की नहीं रह गई है। इस बार मानसून ने जिले में समय से पहले ही दस्तक दे दी थी। 16 जून को जिलेभर में सामान्य बारिश 172.5 मिलीमीटर की अपेक्षा 110.1 मिलीमीटर बारिश हुई थी। उसी बारिश के बाद किसानाें ने छींटा विधि से धान की बुआई कर दी है। कुछ किसान इसके पहले ही करीब 60 प्रतिशत भूमि पर धान की बुआई कर चुके हैं। लेकिन इसके बाद जिलेभर में काफी कम बारिश हुई।
कम बारिश के कारण छींटा विधि से उगाई गई फसल कड़हन के लिए तैयार

जिले में 1.86 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान खेती का लक्ष्य
प.सिंहभूम में 1.86 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य है। इसमें छींटा विधि से 1.33 लाख और राेपा विधि से 24 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती की जानी है। अबतक 121226 हेक्टेयर भूमि पर छींटा विधि से और 291 हेक्टेयर भूमि पर राेपा विधि से खेती हाे चुकी है।
खेतों में पानी नहीं होने से खेती के पिछड़ने का अंदेशा
किसानों ने पानी नहीं होने से खेती के पिछड़ने का अंदेशा जताया है। यदि इस सप्ताह जोरदार बारिश नहीं हुई तो खेती पिछड़ जाएगी। कड़हन का काम रूक जाएगा। इधर धान की रोपनी भी तैयार हो गई है। किसान अब राेपा विधि से राेपनी में जुटे हुए हैं, क्योंकि नीचे लेवल के खेताें में काम लायक पानी जमा है।
धैर्य रखें, बारिश हो रही है आगे भी बारिश होने की संभावना
किसान धैर्य रखें। आगे बारिश होने की संभावना बनी हुई है। फिलहाल कड़हन के लिए खेतों में पर्याप्त पानी नहीं है। किसान बारिश होते ही कड़हन शुरू कर दें। रोपा विधि से खेती का कार्य लगातार चल रहा है। रोपा के लिए पर्याप्त मात्रा में खेतों में पानी है।- राजेंद्र किशोर, जिला कृषि पदाधिकारी
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