चरण जमीन पर न पड़े इसलिए भक्त कन्या को गोद में उठाकर आए, आरती उतार खिलाया भोग

सीतारामडेरा के आध्या पीठ मंदिर में महाअष्टमी पर शनिवार को कन्या पूजा हुई। इसके लिए पांच साल की बच्ची को देवी का रूप दिया। देवी का चरण जमीन पर न पड़े इसलिए भक्त कन्या को गोद में लेकर पहुंचे। मंदिर प्रांगण पहुंचते ही मां के जयकारे लगे। कन्या रूपी देवी जहां से आ रही थी आगे-आगे महिलाएं जल से जमीन को शुद्ध करने के लिए आम के पत्ते से पानी छिड़क रही थीं।
देवी को मां दुर्गा के पास आसन पर बैठाया। भक्तों ने चरण पखारे, आरती उतारी, भोग लगाया और पूजन कर आशीर्वाद लिया। कन्या देवी ने सभी को खुश रहने का आशीष दिया। मंदिर में हर वर्ष महाअष्टमी पर कुंवारी पूजा की जाती है। रघुवर दास भी यहीं कन्या पूजन करते हैं।
इधर, टूटी परंपरा: बेल्डीह कालीबाड़ी में 58 आरके मिशन में 66 साल बाद नहीं पूजी गई कन्या
1954 से बिष्टुपुर रामकृष्ण मिशन विवेकानंद सोसाइटी में कन्या पूजन होता है, लेकिन इसबार नहीं हुआ। सचिव अमृत रूपनंद ने कहा- इस बार सोसाइटी के पुरोहित ने सिर्फ देवी की पूजा की। यहां कन्या पूजन के लिए कन्या का चुनाव होता है।
दूसरी ओर बेल्डीह कालीबाड़ी में भी कन्या पूजा नहीं हुई। यहां 1962 से पूजा हो रही है। मंदिर के प्रमुख मोनू भट्टाचार्य ने कहा- महानवमी पर 10 साल से छोटी बच्ची का पूजन होता है, लेकिन संक्रमण को देख इस बार यह आयोजन नहीं होगा।
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